KTR ने लगाया केंद्र पर आरोप, कहा दक्षिण राज्यों को जनसंख्या नियंत्रण पर सरकार दे रही है दंड
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Amit shah: भारतीय राष्ट्रीय समिति के कार्यकारी अध्यक्ष के टी रामा राव ने निर्वाचन क्षेत्र के प्रस्तावित परिसीमन का कड़ा विरोध किया है, उन्होंने इसे दक्षिण राज्यों को अनुचित रूप से दंडित करने वाला कदम बताया है। उन्होंने चेतावनी दिया है कि केवल जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्र का पुनर निर्धारण तेलंगाना और आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल संहिता ने दक्षिणी राज्यों के लिए अभिशाप होगा। आइए थोड़ा विस्तार से इसके बारे में जानते हैं।
KTR ने किया स्टालिन का समर्थन
KTR ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की चिताओं का समर्थन करते हुए दोहराया कि केंद्र का फैसला लोकतंत्र और संघवाद की भावना के खिलाफ है। मोदी सरकार की दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए उन्होंने सवाल किया कि क्या केंद्र सरकार उन दक्षिणी राज्यों को दंडित करने की योजना बना रही है जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण को सफलतापूर्वक लागू किया है? जनसंख्या बदलाव पर प्रकाश डालते हुए KTR ने बताया कि 1951 में भारत की जनसंख्या में दक्षिणी राज्य की हिस्सेदारी 26.2 प्रतिशत थी, जबकि 2022 तक उनकी हिस्सेदारी घटकर 19.8 प्रतिशत रह गई है। इसके विपरीत उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों की जनसंख्या हिस्सेदारी 39.1% से बढ़कर 43.2 प्रतिशत हो गए हैं। उन्होंने कहा कि यदि निर्वाचन क्षेत्र का आवंटन नवीनतम जनगणना के आधार पर किया जाता है तो अकेले उत्तर प्रदेश और बिहार में 222 लोकसभा सीट होंगे जबकि पांच दक्षिणी राज्यों को मिलाकर केवल 165 सीट मिलेगी।
KTR का सुझाव
KTR ने जोर देकर कहा के दक्षिणी राज्य आर्थिक विकास, मानव विकास सूचकांक और जनसंख्या नियंत्रण में अग्रणी रहे हैं। अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों को दंडित करना और पिछड़े राज्यों को पुरस्कृत करना राष्ट्र के सर्वोच्चतम हित में नहीं है। इसके विकल्प के तौर पर उन्होंने सुझाव दिया है, कि परिसीमन को जनसंख्या के बजाय आर्थिक योगदान से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि भारत की आबादी में तेलंगाना के हिस्सेदारी सिर्फ 2.8 प्रतिशत है लेकिन यह देश के सकल घरेलू उत्पाद में 5.2 प्रतिशत से ज्यादा का योगदान देता है। दक्षिणी राज्य राष्ट्रीय निर्माण में भूमिका निभाते हैं और परिसीमन प्रक्रिया में से भी शामिल किया जाना चाहिए। सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट में केकेआर ने अपने रुख को मजबूत करते हुए कहा कि आप दक्षिणी राज्यों को उसे समय परिवार नियोजन को धार्मिक रूप से लागू करने के लिए दंडित नहीं कर सकते जब देश को इसकी सबसे अधिक आवश्यकता थी यदि केंद्र परिसीमन को लागू करने के लिए उत्सुक है तुम्हें प्रस्ताव करता हूं कि यह राष्ट्र के लिए राजकोषीय योगदान पर आधारित हो।